बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सतत् और व्यापक मूल्यांकन नवीनतम आधुनिक पद्धति है। मूल्यांकन पद्धति ने परम्परागत परीक्षण पद्धति को पूर्ण रूप से नकार दिया है, क्योंकि परम्परागत परीक्षा पद्धति दोषपूर्ण थी। विद्वानों ने परीक्षा पद्धति का पूर्ण अध्ययन करके निरंतर व्यापक मूल्यांकन पद्धति अभियोग कार्यक्रम 1992 को स्वीकार किया है, जिसमें मूल्यांकन कार्यक्रम की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
1. क्रमद्धता
2. वस्तुनिष्ठता
3. विश्वसनीयता
4. वैधता
5. व्यावहारिकता
6, व्यापक
7. विद्यार्थी की सहभागिता
8. सत्तता।
शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर मूल्यांकन पद्धति, उपयोगी एवं प्रमाणित सिद्ध हो रही है मूल्यांकन सतत् और व्यापक प्रक्रिया है। यह सम्पूर्ण शिक्षण प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। मूल्यांकन का सीधा संबंध उद्देश्यों से है। यह बच्चों के अध्ययन और अध्यापकों की अध्यापन क्रिया को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है। सतत् एवं व्यापक परीक्षण पद्धति पूरी तरह से विश्वसनीय व दोषरहित है, जिसको क्रियात्मक कार्यक्रम 1992 ने लागू करने की सिफारिश की है। मूल्यांकन में विद्यार्थियों की सभी क्रियाओं, विद्यालयों में और विद्यालय से बाहर सहभागी क्रियाओं का पूर्ण मूल्यांकन किया जाता है।
क्लाराम एम. ब्राउन के अनुसार - “मूल्यांकन को बहुत अच्छी एवं लाभकारी पद्धति माना गया है। मूल्यांकन के माध्यम से दोषरहित पूर्ण जाँच की जाती है। मूल्यांकन का क्षेत्र, परीक्षा एवं मापन की तुलना में अधिक विस्तृत होता है, मूल्यांकन में सदैव उद्देश्यों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इन उद्देश्यों से प्राप्त प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की जाती है।"
श्री मोफात के शब्दों में - “मूल्यांकन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, यह छात्रों की औपचारिक, शैक्षिक, निरौपचारिक शैक्षिक उपलब्धियों का सही परीक्षण करता है। बालक के विकास में अधिक रूचि उत्पन्न करता है। विद्यार्थियों के विकास को अपनी भावनाओं, विचारों तथा क्रियाओं से संबंधित वांछित परिवर्तनों के रूप में व्यक्त करता है।"
श्री. एम. एल. जेम्स के अनुसार - “मूल्यांकन विद्यालय शिक्षण, कक्षा तथा स्वयं के द्वारा निर्धारित शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के संबंध में छात्रों की प्रगति की जांच है। मूल्यांकन का मुख्य प्रयोजन छात्रों के सीखने की प्रक्रिया को अग्रसर करना एवं उसका निर्देशन करना है। इस प्रकार मूल्यांकन एक नकारात्मक प्रक्रिया न होकर सकारात्मक प्रक्रिया
श्री. जे. डब्ल्यू. राइस्टोन के अनुसार - “मूल्यांकन एक नवीन, निरंतर एवं व्यापक प्रक्रिया है, जिसका प्रयोग मापन की धारणा को परम्परागत जांचों तथा परीक्षाओं की अपेक्षा अधिक व्यापक रूप में व्यक्त किया गया है।"
अतः मूल्यांकन एक व्यापक एवं सतत् परीक्षण करने वाली व्यक्तिगत, सामाजिक, सहकारी और विवरणात्मक प्रक्रिया है।
मूल्यांकन में सदैव उद्देश्यों का विशेष ध्यान रखा जाता है। उद्देश्यों से प्राप्त प्रमाणों के आधार पर ही निष्कर्ष निकालने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की जाती है।
मूल्यांकन में सतत्ता का विशेष महत्त्व है।
सतत्ता - वार्षिक परीक्षा परिणामों से छात्रों के विकास का अनुमान लगाया जा सकता है परंतु उनके बौद्धिक ज्ञान के साथ-साथ दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, सामाजिक, सामुदायिक, व्यावहारिक गतिविधियों और शारीरिक उपलब्धियों का सही निरीक्षण, परीक्षण नहीं किया जा सकता है। अध्यापकों और अभिभावकों को पूरा वर्ष बीत जाने के बाद परीक्षा के परिणाम से केवल बौद्धिक उपलब्धि का ही पता चलता था। परंतु आज के वैज्ञानिक युग में बालक के सतत् और व्यापक परीक्षणों से सम्पूर्ण विकास का पता लगाना सम्भव है।
महात्मा गांधी जी की केवल शैक्षिक उपलब्धि को देखा जाए तो सामान्य ही थी, परंतु उनके व्यक्तिगत व्यक्तित्व, सामाजिक, सामुदायिक, राजनैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के कारण वे विश्व के महान महापुरुष और विश्व शांति के पुजारी थे। यह मूल्यांकन सतत् व्यापक सर्वेक्षण, निरीक्षण से ही किया जा सकता है।
कल्पना चावला का लिखित परीक्षण से मूल्यांकन करना आंशिक मूल्यांकन है। परंतु उसके दैनिक, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक परीक्षण की उपलब्धियों से उत्साहित होकर त्रुटियों को दूर करते हुए आगे बढ़ने के अवसर मिलने से उसका सर्वांगीण विकास हुआ, जिससे उन्होंने कम आयु में अंतर्राष्ट्रीय स्पर्द्धा में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया।
सतत् निरीक्षण से विद्यार्थियों और अध्यापकों की शैक्षिक समस्याओं, कठिनाइयों को दूर करके सही दिशा और निर्देशों से सर्वांगीण विकास मार्ग प्रदर्शित किया जाता है।
मूल्यांकन से पाठ्यक्रम में आवश्यकतानुसार परिवर्तन, सुधार करने के संकेत प्राप्त होते हैं, क्योंकि पाठ्यक्रम तत्कालीन वातावरण, परिस्थितियों और सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुकूल प्रस्तुत किया जाता है।
मूल्यांकन से अध्यापकों को अध्यापन में सफलता, असफलता, त्रुटियों का आभास हो जाता है, इसलिए सफल अध्यापन विधियों और अनुभवों से युक्त प्रशिक्षण सफलता प्राप्त करता है।
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन से स्वयं विद्यार्थियों को भी सफलता और असफलता का आभास हो जाता है। विद्यार्थी भी त्रुटियों, शंकाओं को दूर करके अध्यापकों के सही मार्गदर्शन में शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होते हैं।
सतत् और व्यापक मूल्यांकन अभिभावकों को भी उनके बच्चों की उपलब्धि का आभास करवाता है। अभिभावक अपने बच्चों के प्रति सक्रिय और जागरूक होकर बच्चों के सर्वांगीण विकास में पूरा योगदान देते हैं।
व्यापकता - परम्परागत परीक्षा प्रणाली का गंभीरता से अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि यह पद्धति केवल शिक्षा तक सीमित थी, विद्यार्थी, अध्यापक और अभिभावक केवल शैक्षणिक उद्देश्यों तक ही सीमित रह गये। छात्र और अध्यापकों की योग्यता और विशिष्ठ प्रतिभाओं का ह्रास होने लगा।
पाठ्यक्रम में सहभागी क्रियाओं, शारीरिक स्वास्थ्य एवं चारित्रिक विकास की अनदेखी होने लगी जिससे विद्यार्थियों तथा नागरिकों का नैतिक और चारित्रिक पतन होने लगा। इस भयानक परिणाम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता होने लगी।
पूरे विश्व में स्वार्थ और राजनैतिक भूख बढ़ गई। स्वार्थ के लिए निर्दोष नागरिकों की आतंकवादियों द्वारा हत्याएँ की जा रही थी। अमेरिका के राष्ट्रपति, श्री कनेडी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री भुट्टो, उनकी पुत्री बेनजीर भुट्टो पूर्व प्रधानमंत्री, भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और उनके पुत्र प्रधानमंत्री राजीव गांधी, तत्कालीन इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन, अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी की निर्मम हत्याएं विश्व पर कलंक और नैतिक मूल्यों के पतन का प्रमाण हैं। वर्तमान में प्रतिदिन सैनिकों, पुलिस कर्मियों, अधिकारियों, राजनेताओं और निर्दोष नागरिकों की हत्याएं भी अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मूल्यों के पतन का प्रमाण हैं। इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व शान्ति के लिए नैतिक शिक्षा, अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रजातान्त्रिक मूल्यों के विकास की आवश्यकता है, जिससे सम्पूर्ण विश्व में भ्रातृत्व भावना का विकास हो।
पूरे विश्व की सुख-समृद्धि और विश्व शांति के लिए पूरे विश्व के नागरिक एक-दूसरे का सहयोग करें। व्यापक मूल्यांकन का भी यही निष्कर्ष है कि शैक्षिक विकास के समस्त पक्षों को सम्मिलित किया जाये, जो निम्नलिखित हैं-
(i) छात्रों की विविध रुचियों, साहित्य, संगीत, कला, खेलकूद, स्वास्थ्य संबंधी सभी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाए।
(ii) छात्रों की समय के प्रति निष्ठा, नेतृत्व, क्षमता, स्थायित्व, उत्तरदायित्व एवं सहयोग आदि व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को मूल्यांकन प्रणाली में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
(iii) विद्यार्थियों के शारीरिक विकास में आयु के अनुसार वजन, कद (ऊंचाई) व्यक्तित्व, निरोग स्वस्थ शरीर का मूल्यांकन भी छात्र के विकास में सम्मिलित किया जाये।
(iv) छात्रों के दृष्टिकोण को, शैक्षिक विकास के उद्देश्यों में, भाषण, खेलकूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, क्यूज प्रतियोगिता, एन.सी.सी., एन.एस.एस., स्काऊटस, रैड क्रास आदि सहभागी क्रियाओं को सम्मिलित करके सम्पूर्ण मूल्यांकन करना चाहिए।
(v) विद्यार्थियों के शैक्षिक विकास के उद्देश्यों में समाजवाद, गणतंत्र, लोकतंत्र, धर्म-निरपेक्ष, राष्ट्रीय एकता, अंतर्राष्ट्रीय सदभावना और विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों को सम्मिलित कर, सर्वांगीण विकास का व्यापक और निरंतर मूल्यांकन करना चाहिए। जिससे विद्यार्थियों में व्यापक दृष्टिकोण से समय-समय पर निरंतर मूल्यांकन कर, सर्वगुण सम्पन्न, अंतर्राष्ट्रीय सोच का श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सके।
इसलिए परंपरागत दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली में सुधार व परिवर्तन करके नई आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की निरंतर एवं व्यापक प्रमाणित मूल्यांकन प्रणाली को सहर्ष अपनाया गया है।
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- प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
- प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
- प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।